Saturday 9 September 2017

गीत बन कर मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं...






गीत बन कर मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...

दूरियां दरमियां, और कब तक रहे,
ग़म जुदाई के हम, बोलो कब तक सहें,
और कब तक भला, आजमाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल...

एक दस्तक हुई, आज दिल पे मेरे,
मेरी उम्मीद है, ये करम हो तेरे,
और कब तक यूँ ही दिल जलाऊँगा मैं...
मेरी जाने ग़ज़ल...

दिन ये ख़ामोश हैं, रात में करवटें,
आरजू है धुआँ, याद में सिलवटें,
तुमको कैसे भला, भूल पाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल...

कोई पागल कहे, कोई दीवाना अब,
हो गया है मेरा, हाल देखो ग़ज़ब,
फिर भी अरमान दिल के सजाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल...

गीत बन मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं,
आओ मेरी ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...
मेरी जाने ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...

...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐

No comments:

Post a Comment

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...