मैं मछली हूँ, मुझे पानी दो...
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मैं मछली हूँ, मुझे पानी दो...
कुछ सांसे दो, जिंदगानी दो...
मैं मछली हूँ, मुझे पानी दो...
मैं पोखर तालों में रहती, मैं
हर मौसम को हूँ सहती...
चाहे मुझे कहो कुछ भी, मैं ना किसी को
कुछ कहती...
मुझे बहते जल की रवानी दो...
कुछ सांसे दो, जिंदगानी दो...
कुछ कसक सी मन में है ऐसी, नहीं
खुलती ये गाँठ कैसी..?
हर उलझन सुलझाना चाहूँ, बनूं निर्मल
अविरल जल जैसी...
मुझे बस इतनी नादानी दो...
कुछ सांसे दो, जिंदगानी दो...
किसी रोज जो मिलने आओगे, कुछ हमसे भी
बतियाओगे...
उस रोज मैं तुमसे पूछूँगी, सब
खो कर क्या कुछ पाओगे..?
मुझे ऐसी अमिट निशानी दो,...
कुछ सांसे दो, जिंदगानी दो...
वो ऊपर बैठा रखवाला, उसके हैं गिरजा
और शिवाला...
सब प्यासे हैं सुख अमृत के, कौन
पीये दुःख का प्याला..?
हर नम आँखों का पानी दो...
कुछ सांसे दो, जिंदगानी दो...
मैं मछली हूँ, मुझे पानी दो...
कुछ सांसे दो, जिंदगानी दो...
💐💐रवीन्द्र
पाण्डेय💐💐
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