Saturday 22 July 2017

खता आज हम-तुम करें...

हुई है मोहब्बत बताऊँ किसे,
किस से कहूँ और जताऊँ किसे..
ये दीवानगी अब अदा है मेरी,
सम्हालूँ इसे या मिटाऊँ इसे..?

वो लमहात कितने जूनूनी हुए,
जिसे हमने चाहा वो खूनी हुए..
दिए जख़्म दिल पे दिखाऊँ किसे,
हुई है मोहब्बत बताऊँ किसे..?

चलो इक खता आज हम-तुम करें,
खुल के जिएं अब ना घुट-घुट मरें..
मग़र ये हुनर मैं सिखाऊँ किसे,
हुई है मोहब्बत बताऊँ किसे..?

अज़ब बेक़रारी का आलम हुआ,
धड़कन है दिल की या कोई दुआ..
मैं जज़्बात अपने दिखाऊँ किसे,
हुई है मोहब्बत बताऊँ किसे..?

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#

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