Wednesday 17 May 2017

मेंहदी का रंग गहरा है....

उसके हाथों की मेंहदी का रंग गहरा है,
मिलूँ तो कैसे ज़माने का सख्त पहरा है..

जरा लिहाज़ से रुख़सार दहक जाने दो,
हम भी देखेंगे माहताब जो सुनहरा है..

क्या कहें वस्ल की ये रात कितनी काली है,
मेरी निगाह में तो दूर तक ये सेहरा है..

उसी की चाह में दिल धड़क रहा हर पल,
मिला जो इश्क़ में ये जख़्म बहुत गहरा है..

यही फरियाद मेरी रब से हर घड़ी है 'रवीन्द्र',
सुना है वो भी आशिकों के लिये बहरा है..

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#

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