Friday 7 April 2017

अब ना गाड़ी बुलाती है....

















अब ना गाड़ी बुलाती है, और ना सीटी बजाती है...
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अब ना गाड़ी बुलाती है, और ना सीटी बजाती है...

               अपनी तो जिन्दगी बस, यूँ ही बीती जाती है...

अब ना डिब्बों का मेल है, ना छुक छुक का खेल है...

               गुजर गये जो प्यारे लम्हें, उन लम्हों की याद आती है...

अब ना सीने में आग है, ना कोई सुरीला राग है...

               ठहर गया साहिल जैसा, बस लहरें आती जाती है...

अब ना गाड़ी बुलाती है, और ना सीटी बजाती है...

               अब तो जिन्दगी 'रवीन्द्र', बस यूँ ही बीती जाती है...


                      ....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐
                          @9424142450#

4 comments:

  1. बहुत सुंदर रविंद्र भाई ��, एक साथ , एक जगह आपके चुनिंदा मोतियों की माला �� जब कभी तन्हा हो मन , तब हो ले रविंद्र के संग ��

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  2. संकलन पसंद करने के लिये ह्रदय से आभार मित्र...

    आपका प्रेम ही मेरी रचनाधर्मिता का सुदृढ़ आधार है....

    प्रतिक्रिया एवं टिप्पणियां अपेक्षित हैं.....

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पल दो पल के साथ का.....

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